मेवात क्षेत्र में भाजपा का जोर हमेशा काम क्यों रहता है, जाने इस जानकारी को
(सहल जमील - SM NEWS HARYANA)
मेवात क्षेत्र, जो हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में फैला है, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से एक विशिष्ट पहचान रखता है। यहां मुस्लिम आबादी की बहुलता है, जो राजनीतिक दृष्टिकोण से भाजपा के लिए एक चुनौती हो सकती है। भाजपा की विचारधारा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर आधारित है, और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में इसे आमतौर पर एक असहमति या अविश्वास के साथ देखा जाता है। इसके कुछ कारण हो सकते हैं:
1. धार्मिक ध्रुवीकरण: भाजपा की छवि एक हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी के रूप में मानी जाती है, और मेवात की मुस्लिम बहुलता वाली आबादी में यह पार्टी उतनी लोकप्रिय नहीं है। मुस्लिम समुदाय को लगता है कि भाजपा की नीतियां उनके हितों के खिलाफ हो सकती हैं, जिससे वहां भाजपा को समर्थन कम मिलता है।
2. सामाजिक-आर्थिक मुद्दे: मेवात क्षेत्र अपेक्षाकृत पिछड़ा और विकास की दृष्टि से उपेक्षित रहा है। यहां के लोग कृषि और पशुपालन पर निर्भर हैं, और इन्हें बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। भाजपा द्वारा इस क्षेत्र में विकास पर ध्यान न देने का आरोप लगता है, जिससे उन्हें समर्थन नहीं मिलता।
3. स्थानीय नेतृत्व का प्रभाव: मेवात में पारंपरिक रूप से कांग्रेस, INLD (इंडियन नेशनल लोक दल) और अब AAP जैसी पार्टियों का प्रभाव रहा है। ये पार्टियां स्थानीय मुद्दों पर अधिक ध्यान देती हैं और स्थानीय नेतृत्व से जुड़ी होती हैं, जिससे भाजपा के लिए यहां पैर जमाना मुश्किल हो जाता है।
4. सांप्रदायिक घटनाएं: बीते समय में मेवात और उसके आसपास हुई सांप्रदायिक घटनाओं और गोरक्षा के नाम पर होने वाले तनाव ने भी भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचाया है। मुस्लिम समुदाय में यह धारणा बनी है कि भाजपा की सरकार में उनके खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
इन सब कारणों से मेवात क्षेत्र में भाजपा को चुनावी सफलता हासिल करना कठिन रहा है।
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